शिवगंज
राजस्थान की पावन माटी में बसा शिवगंज नगर| शिवगंज का नाम आते ही पुराने यादे ताजा हो जाती है| शिवगंज नगर जिसे पाली निवासी नगरसेठ शा. जुहारमलजी कालुरामजी लोधा ने बसाया था| संवत १९११ (शाक १७७६) वैशाख सूद १० बुधवार को शिवगंज का शिलान्यास हुआ| शिलान्यास स्थल के सामने एक गोल चबूतरा था|अक्सर यहाँ कबूतर बैठते थे अत: इसी कबुतरे का चोतरा भी कहा जाता था| समय बदला और अब इस चबूतरे के स्थान पर बहुमंजिली गोल बिल्डिंग बन गई| इसी चबूतरे के साथ गजाननजी का चबूतरा व उसके पीछे हनुमानजी का भी चबूतरा साथ-साथ बना हुआ है| शुभ घडी में यहाँ पर नगर का शिलान्यास किया गया एवं झंडा खड़ा किया गया| यहाँ रहने वाले ओसवाल बंधुओ ने अपने आराध्यदेव के लिए जैन मंदिर के निर्माण हेतु पहल की| फलस्वरूप कलपुरा के ठाकुर साहब द्वारा दी गई जमीन पर जैन मंदिर का निर्माण हुआ|

प.पु.आ.दे.श्रीमद विजय राजेंद्रसूरीश्वार्जी म.सा.

श्री सौधर्म बृहतपोगच्छीय त्रिस्तुतिक जैन आरधना भवन |
इस नगर का नाम शिवगंज नगर होने के पीछे भी कुछ प्रसंग है| शिवगंज दो शब्दों से मिलकर बना है| शिव + गंज = शिवगंज| जिस समय इस नगर की स्थापना हुई, उस समय महाराज शिवसिंहजी यहाँ के राजा थे| सो उनके नाम से लिया गया “शिव”, और यहाँ ओस्वालो का बड़ा मंदिर बनाया गया वह कलापुरा का “गंज” कहलाता था| इस तरह दोनों को मिलाकर बना शिवगंज| पाली निवासी शा. जुहारमलजी ने सिरोही के महाराज श्री शिवसिंहजी से उनके नाम पर नगर बसाने की अनुमति मांगी| राज्य ने अनुमति देकर शा. जुहारमलजी को नगरसेठ की उपाधि से विभूषित किया|

श्री वासुपूज्य स्वामी |

दादावाडी , नेहरूनगर
शिवगंज के उत्तर में बहनेवाली जवाई नदी यहाँ का मुख्य आकर्षण है| तथा इसके पूर्व में बडगांव नामक एक छोटा सा क़स्बा है| दक्षिण में केसपुर के नाम से गाँव है| पश्चिम में मारवाड़ पालदी, कानपुर, चंदाना आदि गाँव बसे हुए है| कुल मिलकर गाँवों, कस्बों के मध्ये में और पूर्व दिशा से पश्चिम की तरफ बहनेवाली सुंदर जवाई नदी की ममताभरी गोद में बसा है अपना प्यारा शिवगंज नगर|यहाँ कपड़ा, दवाई, सोना-चांदी, कटलेरी, साग-सब्जी, फल, मिठाई, जूते व् अन्य सामानों का रिटेल व होलसेल का काम बहुत बड़े पैमाने पर होता है| साथ ही ग्रेनाइट पत्थर, मार्बल, ऑइलमिल, लकड़े आदि का भी अच्छा ख़ासा कारोबार है | तभी तो शिवगंज को मुख्य रूप से व्यापार प्रधान नगर कहा जाता है| (मिनी मुंबई कहा जाता है|)

श्री अजितनाथ भगवान (विलायती वास)

श्री अजितनाथ भगवान
सन १९५१ में यहाँ की जनसंख्या मात्र ५७२० थी| १९६१ में १३१०२ हो गई|१९८१ में पुन: बढ़कर १६७६७ हुई और १९९१ में जनसँख्या २०००० तक पहुँच गई| १९९१ के बाद के इन सालो में और भी बढ़ी होगी| गुलाबी नगर जयपुर के नक़्शे का आधार लेकर ही शिवगंज को भी चोपट आकार में बसाया गया जसीसे जयपुर की तरह शिवगंज भी सुन्दर हो सके| और सचमुच शिवगंज भी बहुत सुन्दर हो गया| इसकी रौनक दिन-ब-दिन बढ़ती ही गई है| करीब ८० साल पहले बाजारों में बॉस के किवाद्व खपरैल से ढकी दुकानेदेखने को मिलती थी अब वही बहुमंजिली पक्की इमारतों में दुकाने सजती है|व्यापारियों की कुशल व्यापारिक श्रमता व् दूरदर्शिता के कारण ही आज हिंदुस्तान की प्रमुख मंडियो में इस मंदी का नाम बड़े गर्व से लिया जाता है| जिसका सारा श्री शिवगंज के व्यापारी भाइयो को जाता है|

श्री ऋषभदेव (केशरियाजी) जिनालय, धानमंडी, शिवगंज
सन १८८० के लगभग अहमदाबाद से अजमेर के बीच रेल लाइन बिछाई गई| तब शिवगंज में जो रेलवे स्टेशन था, उसे बी.बी.एंड सी. आई कंपनी अर्तार्थ बाम्बे-बरोडा एंड सेंट्रल इंडिया रेलवे कं. के अंतगर्त आता था | इसका नाम एरनपुरा रोड रखा था| आजादी के बाद सन १९६४ में इसका नाम बदलकर जवाईबांध स्टेशन कर दिया गया|

श्री शांतिनाथ भगवान

श्री शांतिनाथजी मंदिर
बहरहाल यह कहना उचित होगा | हमारे बुजुर्गो के प्रयास से आज शिवगंज आलोकित है| सन १९४५ में प्रजा मंडल व आयुर्वेद औषधालय की स्थापना वैध श्री अम्बाशंकरजी ने की एवं औषधालय को अवैतानिक सेय प्रदान की|सन १९५२ में नगरपालिका शिवगंज में जनप्रतिनिधियों का चुनाव संपन्न हुआ| श्री वेलचंदजी पूनमचंदजी प्रथम अध्यक्ष चुने गए| तत्पश्चात शा. प्रकाशराजजी लोधा, ज्ञानचंदजी सिंधी, दूंगारामजी परिहार, साकलचंदजी गहलोत, चीरंजीलालजी अग्रवाल, मंगलचन्दजी मेहता, रामलालजी परिहार, रघुनाथ पुरीजी, डॉ. के.जे. शाह, गुलाबचंदजी शर्मा, घिसुलालजी पोरवाल, छगनजी गहलोत, भीमराजजी अग्रवाल अध्यक्षपद पर आसीन रहे|

श्री आदेश्वर भगवान (श्री सोपोवालो मंदिर)
शिवगंज नगर कुल क्षेत्रफल ५०३०४०० वर्ग गज है| वर्तमान में नगर की आबादी करीब ३५००० से ४००००(जनसँख्या) है| नगर में सभी धर्मावलंबियों के इष्टदेवो के भव्य पूजा एवं चिंतनस्थल विधमान है| नगर में हर एक धर्म के त्यौहार व् धार्मिक समारोह को बड़े ही साम्प्रदायिक भाव से मैत्रीपूर्ण सदभावना व एकतापूर्वक धूमधाम से मनाये जाते है| नगर की भव्यता सुव्यवस्तिथ बनावट व इसकी रमणीयता अति मनमोहक है|