आपका जन्म सं. १६७३ महा सुद ११ को हुआ| आचार्य देवसूरीजी ने गीतार्थो की सम्मति प्राप्त कर आप आयु में, पर्याय में छोटे होने के बावजुद शांत, ज्ञानी और उदार होने से दैविक संकेत के अनुसार गांधार में आपको भट्टरक पद दिया गया एवं गच्छनायक बनाया गया| आपने जीवन में कई शासन प्रभावक कार्य किये | सौराष्ट्र क्षेत्र में आपका विचरण ज्यादा रहा| सिरोही में २ साल से बंद विहार क्षेत्र आपके उपदेश से खुला| सं. १७४९ में जेठ वद १२ को आप समाधिपूर्वक स्वर्गस्थ हुए|