आपका जन्म संवत् १७१२ को सेठ सौभाग्यचंदजी की धर्मपत्नी श्रुंगारबाई की कुक्षी से हुआ| आपकी सगाई हो चुकी थी, उसे ठुकराकर १६ वर्ष की वय में दीक्षा ग्रहण कर सं. १७३३ जेठ वद ६ को आचार्यपद प्राप्त किया| जोधपुर के राजा अजितसिंह को उपदेश देकर मुसलामानों ने जिन उपाश्रयो को मस्जिद बनाई थी| उसे पुन: तुड़वाकर उपाश्रय बनवाया| शिथिलता का उन्मूलन कर गच्छमर्यादा प्रवताने में आप कटीबध रहे| आप ३३ शिष्यों के गुरु थे| सं. १७७३ आसोज वद २ उदयपुर में स्वर्गवास हुए|